भारत के गौरव
भारत के गौरव
हे परमवीर हे कुलगौरव,
मैं तुमको बंदन करती हूं।
हे सकल विश्व के अनुयायी
मैं सुमन समर्पित करती हूं।
मातु-पितु के गौरव बन,
जन्मे कटक में वीर प्रखर,
गूंज उठी खुशियों की लाली,
बजे ढोल,नगाड़े और करलत।
तुम धीर वीर निर्भीक निडर,
इतिहास बनाने आये थे।
मन मे चिंगारी ले के,
पीड़ा देश की हरने आये थे।
हे परमवीर ...............……
अद्भुत क्षमता के विकट धनी,
पर ना भाई पद की वो मनी,
स्वदेश प्रेम अनुरागी थे
जन-जन में नवाचार भरने,
परम प्रतापी आये थे।
हे परमवीर.………...
जिस डगर चले सब साथ हुए,
अंग्रेज भी थर-थर काँपे थे।
सुन के नेता जी का नाम सभी,
रण छोड़ के पीछे भागे थे।
हो भारत हो या जर्मन ब्रिटेन,
जिस ओर चले पग नेता जी,
उस ओर समूचा देश चला
खूनी हस्ताक्षर करने को आतुर
जनता बढ़ती ही चली
जन मानस के अंतर्मन में
प्राण फुकने आये थे
हे परमवीर...........
अपना देश आजाद हुआ,
नव जागृति छाई थी,
लालच न कभी सत्ता का था,
ना राजनीति से सरोमार,
स्वतंत्र जीवन के खातिर
आज़ाद हिंद फौज बनाये थे
हे परमवीर..........
वे कहा गए,वे कहा रहे,
इसकी तो अपनी कहानी है,
हमने तो उनकी गाथा
आज़ाद हिंद फौज से जानी है
हे परमवीर...........
नतमस्तक हूँ आज तलक,
एक बार पुनः आ जाये।
इस धरा की गरिमा के खातिर,
पुनरजन्म पा जाए
प्यारा सुभाष दुलारा सुभाष,
भारत माँ के उजियारे,
पैदा होते ही गणिको ने
जिनका भविष्य लिख डाला था
हे परमवीर...........
✍️
ममता प्रीति श्रीवास्तव
(शिक्षिका)
जनपद- गोरखपुर
उत्तर प्रदेश
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