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भारतीय नववर्ष मनाएं हम

भारतीय नववर्ष मनाएं हम

हर वसंतदूत परवा के दिन
नववर्ष हमारा आता है।
कुदरत जब सुभग सुरम्य रुप धरे
तब नव वर्ष मनाया जाता है।

जब मादक समीरण बहती है 
हर तरफ  आनंदिता छाती हैं।
हर गैल,कूचा,कोने कोने
जीवन नवपल्वित हो
मंदहास्य लिए खिल जाती हैं।
मधुमास का निरुपम भेद देख
उन्माद हिय प्रतिपल बहता है।
आनंदित होता है जीवन 
तब अपना नव वर्ष आता है।
 हर वसंतदूत परवा के दिन.....

पीत,केसरिया,सुनहला 
सरसों के मनोहर वस्त्र पहन,
जब वसुधा अभिमंडित होती है।
हर जन हर एक मन में
 नव भाव नव प्रेरणा होती है।
विनोद,उमाह,जोश अतीव 
यह वासर साथ में
अपने लाता है।
हर वसंतदूत परवा के दिन...

ईश स्मरण अग्रिम करें
फिर जनक अभिवादन होता है।
सुरभि को चरी प्रतिदिन देकर
भूखों को अन्नदान होता है।
 सुंदर शब्दों की लड़ियां लेकर अभिवादन एक दूजे का होता है।
 संस्कृति,सम्मान,मर्यादा से
उत्सव अपना मनाया जाता है।
हर वसंतदूत परवा के दिन .....

 हर पर्व हर दिन का
 उत्तम आशय होता है। 
संदेह नहीं इसमें तनिक भी
 नव वर्ष सबका होता हैं।
 नव वर्ष मनाए मिल हम सब हृदय में आसित कर ले।
 मिल एक ही सुर में गाएं हम
भारतीय नववर्ष मनाएं हम।
अपना नव वर्ष मनाए हम।

✍️
दीप्ति राय दीपांजलि
कंपोजिट विद्यालय रायगंज 
खोराबार गोरखपुर।

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