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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति


आइल संक्रांति क त्योहार,
सज गइल हाट बाजार।
छाइल मस्ती अपार,
मन में होला मनुहार।
सबके मन में बहे पुरवाई हो,
चला चली पतंग उड़ाई हो......
तिल गुड़ मिल के सब खाई हो... 

घरवा में बने लागल धुंधा तिलकुट,
मूंगफली काजू रेवड़ी के लागेला जमघट।
सबके मनवा में हर्ष बा छाइल हो,
चला चली पतंग उड़ाई हो..
तिल गुड़ मिल के सब खाई हो....

चुरा भेली दही तिल से भर गइल अंगना,
खिचड़ी के आवन से मगन बाटे मनवा।
सब सथवा में दान पुण्य कर आईं हों,
चला चली पतंग उड़ाई हो...
तिल गुड़ मिल के सब खाई हो....


दाल चावल हल्दी अदरक हथवा में लेई   के,
गोरखनाथ मंदिर में मथवा टेकी के,
सबके खातिर हम मांगी आशीषवा हो...
चला चली पतंग उड़ाई हो.....
तिल गुड़ मिल के सब खाई हो...

रवि उत्तरायण भईलें मनवा में हर्ष बा,
पीत वसन में घर में उत्कर्ष बा।
नया शुभ काम के बेला बा आइल हो,
चला चली पतंग उड़ाई हो.....
तिल गुड़ मिल सब खाई हो...

बिखरल तिलवा गुड़ संग जोड़े,
मानव हृदय के एकता में बांधे।
बुजुर्ग युवा लइकन में छाइल बा हर्ष हो
चला चली पतंग उड़ाई हो....
तिल गुड़ मिल सब खाई हों.....

 

✍️  ममता प्रीति श्रीवास्तव
(प्रभारी प्रधानाध्यापिका)
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

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