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दीवाली

दीवाली दिखी दिवालों पर।
उजियारा भरी प्रसादों पर।।
चम चम जलती लड़ियों में ।
चर चर करती फुलझड़ियों में।।

ऊँची ऊँची विस्फोटों  में।
महलों वालों  के नोटों में।।
रत्नजड़ित क्रय विक्रयों में।
व्यापारों के मुग्ध हृदयों में ।।

भीड़ भड़क्का बाजारों में।
नयी गाड़ियों और कारो में।।
हवाट्सऐप के मैसेजों में।
फेसबुक के  पैसेजों में।।

अखबारों के पन्नो पर।
गृहलक्ष्मी के कंन्धो पर।।
पुष्पों के महंगी सुगन्धों पर।
विस्फोटक के लूट भरी धंधों पर।।


बस नहीं दिखा तो....…..

आपस  के सम्बधों  में।
तम से पूरित प्रतिबंधो में।।
जर जर समाज नवल सम्बधों में।
प्रेम,प्रभाव,प्रकाश के निहित भावके अनुबंधों में।।

✍️
प्रमोद सिंह
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय उसका
पिपराईच, गोरखपुर

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