दीप जलेंगे
दीप जलेंगे
घर-घर दीप जलेंगे,
फैलेगी एकता की धारा।
नभ से अम्बर तक,
जगमग होगा भारत प्यारा।
घर-घर दीप जलेंगे.........
घर आँगन में रौनक,
चारों ओर सजी है रंगोली।
रघुवर के आगमन पर,
कोयल भी गुन-गुन बोली।
घर-घर दीप जलेंगे.........
मन से हटे तिमिर,
जगमग हो जीवन सारा।
अपनत्व की आभा में,
महके घर संसार हमारा।
घर-घर दीप जलेंगे.........
रघुवर संग सिय लखन,
जामवंत अंगद हनुमत आए।
बरस चौदह बीत गए,
भरत निहारे टकटकी लगाए।
घर-घर दीप जलेंगे.........
✍️
नवनीत कुमार शुक्ल
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय भैरवाँ द्वितीय, हसवा, फतेहपुर
9451231908
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