चलो गीत जीवन के गाओ
चलो गीत जीवन के गाओ
माना पथ के शूल कठिन हैं
जीवन के कुछ भूल कठिन हैं
क्या खोया क्या पाया हमने
धरती पर दुःख झेले सबने
मीत प्रीत के रस्म निभाओ
चलो गीत जीवन के गाओ
हमसे पूर्व यहाँ जो आये
अपने-अपने गति को पाये
इससे जीवन व्यर्थ नहीं है
छिपे हुए सब अर्थ यहीं है
मन के तारों को झनकाओ
चलो गीत जीवन के गाओ
जीवन सूरज ढल जाएगा
अस्ताचल में छिप जाएगा
नहीं चाह कुछ कर पाओगे
खुलें करों से ही जाओगे
दुःख में ख़ुद को न उलझाओ
चलो गीत जीवन के गाओ
जग में कोई और न होगा
सदा एक सा दौर न होगा
छोटी चींटी से तुम सीखो
कष्टों को न पकड़ के भीचो
नन्हे कदमों से बढ़-बढ़ कर
डगमग डगमग कर चढ़ कर
समर शेष है यत्न लगाओ
चलो गीत जीवन के गाओ।।
✍️
'कविराज' दिग्विजय सिंह
शिक्षक -प्राथमिक विद्यालय दलपतपुर
जनपद-गोंडा
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