बीत गया ग्रीष्म अवकाश
बीत गया ग्रीष्म अवकाश
सैर - सपाटा मन को भाया ।
घमा - चौकड़ी खूब लगाया ।।
हुआ पहाड़ों पर भी जाना ।
पिकनिक खातिर रात बिताना ।।
जगह - जगह देखा इतिहास ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
शादी -विवाह में ख़ुब भागा ।
दिन में सोया रात को जागा ।।
यार दोस्त संग रंग जमाया ।
हंसी ठिठोली मौज मनाया ।।
चिंता का ना था एहसास ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
अब आयी फिर जिम्मेदारी ।
कर लो कर लो सब तैयारी ।।
हो स्वच्छ - सुंदर विद्यालय ।
प्रांगण, दीवारे , शौचालय ।।
पहले दिन से लगे ये ख़ास ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
सबने मन में है ये ठाना ।
नामांकन है और बढ़ाना ।।
शिक्षा है सबका अधिकार ।
गुणवत्ता पर करो विचार ।।
नवाचार में कर विश्वास ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
मिशन शिक्षण संवाद की जोर ।
चलें शून्य से शिखर की और ।।
नूतन लय नूतन स्वर दो ।
खुशियों से बचपन भर दो ।।
बढ़े नवोदय क्रान्ति की आस ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
ध्यान धारणा योग के साथ ।
प्रतिपल बढ़े राग अनुराग ।।
स्वस्थ जागरण सबमे आये ।
मन मष्तिष्क में उन्नति छाये ।।
जीवन में बढ़े "अरुण"प्रकाश ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
आँसू अविद्या का है पोछना ।
नव प्रवेशी बच्चों को खोजना ।।
बच्चों का ठहराव रोकना ।
समिति संग बैठक में सोंचना ।।
योजना विद्यालय का विकास ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
मन में लिए हुए अरमान ।
तरह तरह होंगे फरमान ।।
शासन नियम पे नियम गढ़ेगा ।
अधिकारी पर रौब चढ़ेगा ।।
शिक्षक हित में हो नेक प्रयास ।
बीत गया ग्रीष्म अवकाश ।।
✍ रचनाकार
अरुण कुमार यादव
उ0प्रा0वि0 बरसठी
Mob--9598444853
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