बिटिया रही पुकार, पढ़ना मेरा अधिकार
बिटिया:
अब्बा मेरो नाम लिखाय देओ,
मैं भी पढ़न को जाऊंगी।
पढ़न को जाऊंगी,
तुमरा मान बढ़ाऊंगी।
अब्बा मेरो नाम लिखाय देओ,
मैं भी पढ़न को जाऊंगी।।
अम्मा तेरी बात पे हर,
मैं हामी भरती हूँ।
संग में तेरे खुशी से,
चूल्हा चौका करती हूं।
पहले पढ़ने जाऊंगी,
फिर हाथ बटाऊंगी।
अम्मा मेरो नाम लिखाय देओ,
मैं भी पढ़न को जाऊंगी।।
क, ख, ग का पाठ पढूंगी,
गिनती सीखूंगी।
A, B, C, D लिक्खूंगी,
सवाल लगाऊंगी।
दादी मेरो नाम लिखाय देओ,
मैं भी पढ़न को जाऊंगी।।
भैया जब जब जाता पढ़ने,
अच्छा लगता है।
टांग के बस्ता पहन के जूता,
खूब ही जँचता है।
मैं पढ़ने जाऊँ,
मेरा जी भी मचलता है।
भैया मोरा नाम लिखाय देओ,
मैं भी पढ़न को जाऊंगी।
पिता:
भूल हुई मुझसे तगड़ी,
अब मैं पछताता हूँ।
बेटिया को भी पढ़वाऊंगा,
सौगन्ध खाता हूं।
बिटिया तेरो नाम लिखाऊंगा,
तू भी पढ़न को जाएगी।।
मैडम इसको नाम लिख लेओ,
यह भी पढ़न को आएगी।
पढ़न को आएगी,
जग में नाम कमाएगी।
अब्बा मेरो नाम लिखाय देओ
मैं भी पढ़न को जाऊंगी।।
✍ रचयिता: आमिर फ़ारूक़,
सहायक अध्यापक,
उप्रावि औरँगाबाद माफ़ी,
विकास क्षेत्र- सालारपुर,
जनपद- बदायूँ
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