वतन मेरा
वतन मेरा
हर रंग में हर भेष में
सबसे प्यारा वतन मेरा।
बोली संस्कृति मर्यादा में
सबसे आगे वतन मेरा।
स्नेह और शालीनता में
वृहद स्वरूप वतन मेरा।
खेत,खलिहानों,सौंधी मिट्टी से
महकता है वतन मेरा।
वेद,पुराण,रामायण महाभारत से
सुसज्जित हैं वतन मेरा।
गीता,कुरान,बाईबिल, गुरु ग्रंथ का
अदभुत संगम है वतन मेरा।
त्योहारो,संस्कृति की अनूठी
मिशाल है वतन मेरा।
कबीर रसखान के दोहों से सजा,
संतों की दिव्य वाणी से
गुनगुनाता है वतन मेरा।
निर्भय हो जहाँ सैनिक
मृत्यु का वरण करते हैं,
ऐसे गौरवशाली वीरों को
रखता है वतन मेरा।
गुंजित होती है धरा
माँ भारती के मंगल गान से
भारत माँ की अखंडता को
सिरआँखो.....पर रखता है वतन मेरा।
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा
पल-पल दोहराता है वतन मेरा।
रोष-जोश मन में भर ले
मिल हम सब अहवान करें,
सदियों से यही मंगलगान
गा रहा है वतन मेरा।
याद कर वीर शहीदों को
श्रद्धा-सुमन चढ़ाएं हम,
स्वतन्त्रता की सरस सरिता का
78वां स्वतंत्रता दिवस
मना रहा है वतन मेरा।।
✍️
दीप्ति राय दीपांजलि
कम्पोजिट विद्यालय रायगंज
खोराबार गोरखपुर
कोई टिप्पणी नहीं