दरिंदो की सजा मौत
दरिंदो की सजा मौत
दरिंदो की सजा अब मौत करदो
जो नारी को हाथ लगाएं उसमें इतनी ख़ौफ़ भरदो
आँखो में वों थी चुभती
नराधम राक्षस निशाचरों के
जीवन अपना बह बचा ना सकी
गुनाह किया था क्या उसने
उसने क्या लड़की होकर पाप किया
उसने चुना डॉक्टर का पेशा
उसका क्या यही दोष था
फूल सी नाज़ुक बिटियाँ थी
सपने उसने भी कुछ थे देखें
पढ़ाई दिन रात किया करती थी
डॉक्टर बनने की धून में वो
ईमानदारी से अपनी वह डियूटी करती
हरदम चहकती खिलखिलाती रहती
देश तो बदल रहा सोच वही पुरानी
कैसे भारत में रह रहे हम हर नारी की यही कहानी
लोग -समाज -शहर -गाँव कैसा हो गया
बेटियों का भविष्य अब क्या होगा
कब तक यूँही होता रहेगा
द्रोपती बन अब बहुत सह चुकी
हे पार्थ अब तुम्हें आना होगा
बेटियों को दलदल से बचाना होगा
हे पार्थ तुम्हें आना होगा
बेटियों को दलदल से बचाना होगा
✍️
नीलम दुबे
कम्पोजिट विद्यालय रायगंज
खोराबार गोरखपुर
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