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नंद के आनंद भयो

नंद के आनंद भयो

नंद के आनंद भयो, गोकुल में धूम मचाई,
कन्हैया के आवन से, धरती ने ली अंगड़ाई।
मोर मुकुट सिर सजाए, मुरली की धुन सुनाई,
राधा संग बंसी वाले ने, प्रेम की गंगा बहाई।

यशोदा की गोद में, बसा मधुर मुस्कान,
गोपियों के संग नाचे, बनकर माखन चोर महान।
कंस का अंत किया, धर्म का दिया संदेश,
हर युग में कन्हैया ने, दिखाया प्रेम का वेश।

जनम-जनम की बाधाएं, हंसते-हंसते काट दी,
लीला रचाई ऐसी, सृष्टि को नए रंग में बांध दी।
जन्माष्टमी का पर्व हमें, सिखाए भक्तिभाव,
कृष्ण का नाम जपकर, पाएं जीवन का सच्चा प्रभाव।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए कविता उनका नया हथियार बना हुआ है। 


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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