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गुरु महिमा

गुरु महिमा

हे! जग त्राता, युग निर्माता             
सत सत नमन है तुझको मेरा  1
नवजीवन के निर्माता ; नित नित फूलों को महकाता; 
 चहकता कलियों को नई किरणों को फैलाता1
सूर्य जैसा तेजमान हो तो चंद्रमा जैसी शीतलता है;
कहां मिलते हैं जग में तुम जैसा अविनाशी1
नई ज्योति फैलाने वाले महामानव
नित मानवता का पाठ पढ़ाओ1
तुम वह जौहरी है गुरुवर
जो प्रतिभा का निखार करें;
अंधकार मन में दीप जलाने वाले1
हे! जग त्राता; युग निर्माता
शत-शत तुझको मेरा प्रणाम1
आप की महिमा अपरंपार;
प्रतिदिन नए-नए रूप में पाया
तुम् हर रूप में सबके मन को भाया1
हे! जग त्राता; युग निर्माता1
शत शत नमन है तुझको मेरा11

  ✍️
 डा o पूनम मिश्रा
 बड़हलगंज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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