इश्क में दूसरा नहीं होता''
"इश्क में दूसरा नहीं होता''
शुकून-ए-दिल जरा नहीं मिलता,
अब उनका आसरा नहीं मिलता।। बस वही हर तरफ नजर आता,
इश्क में दूसरा नहीं मिलता।।
जाने क्या हो गया है दुनिया को,
कोई सिक्का खरा नहीं मिलता।।
पतझड़ों का असर सा लगता है,
कोई पत्ता हरा नहीं मिलता ।।
गरज पूरी हुयी कि छोड़ गये,
बात पे अब मरा नहीं मिलता।
दीप ने हाथ मिलाया है तूफानों से,
शेष कुछ माज़रा नहीं मिलता।
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शेषमणि शर्मा'इलाहाबादी'
प्रा०वि०-नक्कूपुर,वि०खं०-छानबे, जनपद-मीरजापुर उ०प्र०
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