अब अपना स्कूल खुला🏦👫
अब अपना स्कूल खुला🏦👫
नव निहाल वो कुसुम धरा के विद्यालय आने को आतुर,,,,। ज्ञानदीप को फिर से
पूर्णित करने को
व्याकुल नयन मन आतुर ,,,। उद्वेलित मन प्रतिपल
सोच रहा था,,,,,
कब नवल प्रभात आएगा विद्यालय परिसर में कब तक
वृंद वेग सा कोलाहल छाएगा
फिर से,,,।
बीता सघन अंधेरा
हुआ अब नवल सवेरा
छट गया सब विशद घना कुहेरा ।
नव प्रभात नवल कलियां
खिल उठी है ,,,फिर से ।
बंद कपाटो से फूट पड़ी है
बंद हंसी की लड़ियां ,,फिर से।
उत्साहित वेग से बढ़ चले
नन्हे कदम ,,विद्यालय की ओर
फिर से ,,,,,,है तुम्हारा अभिनंदन विद्यालय प्रांगण में
नन्हे सुमन ,,,,फिर से ,...।
नया बन अपना स्कूल खुला है बच्चों तुम अब आओ... फिर से।
स्वर व्यंजन गिनती पहाड़े सारे सब कुछ पढ़ना है ....फिर से ।
विस्मृत जो हो चुका पटल से
उन सब को स्मरण करना है
फिर से....।
खेल मोबाइल दिन भर झगड़े
अब सब छोड़ो बहुत हुआ
बीत गई छुट्टियां अब सारी,,,, आओ ,,अब अपना स्कूल खुला,,।
कॉपी ,बस्ता और किताबें
सजा धजा कर लो तैयार ,फिर से। श्यामपट्ट कमरे सब बेंचे
जोह रहे बाट तुम्हारी,,, फिर से ।
सजा धजा कर हम भी कर ले
हर कमरे तैयार ,,,फिर से ।
अब अपना स्कूल खुला है
बच्चों सब अब आ जाओ, ,,
फिर से,,,,,।
आओ कर्म पथ पर फिर से सुगंधित पुष्प के वृक्ष लगाएं ज्ञानदीप से सींच कोमल मन उज्जवल देश बनाए फिर से,,।
विद्यालय उपवन में प्रशिक्षित गुंजित हो मुस्काए फिर से,,,।
लक्ष्य प्रेरणा मिला है हमको
अनुरूप उसके बन जाए,,
भाषा गणित के हर पड़ाव की सुंदर माला गूथ बनाएं ।
विद्यालय के नन्हे सुमन
सुना विद्यालय पड़ा,..
तुम्हारी मनमोहक बोलियो से
यह पुनः महक जाए ,,फिर से।
यह नेह निमंत्रण भेज हृदय से तुम्हारा प्रतिक्षण अभिनंदन
शुभकर कदम पड़े प्रांगण में प्रतीक्षारत नैनो से अभिवादन ,,,।
अब अपना स्कूल खुला है
बच्चों अब आ जाओ ,,,फिर से ।
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दीप्ति राय (दीपांजलि )
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय रायगंज खोराबार गोरखपुर
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