मां तो माँ है
मां तो माँ है
यू हि नही गूजती किलकारिया घर आगन कोने कोने में ।
जान हथेली पर लेनी पड़ती हैं एक माँ को माँ होने मे।
मां के विषय में क्या लिखूं लिखने के लिए शब्द नहीं है फिर भी एक छोटा सा प्रयास मां पर।
जो जल के रोशनी दे वह है मां ।
जो बिखर के खुशबू दे वह है मां ।जोजिसके धड़कनों में बसते हैं बच्चे वह है मां ।
जो भुला के भी भूल न पाये वह है मा ।
माँ तो माँ है
मेरी दुनिया में जो भी नाम या शोहरत है । वह सब कुछ मेरी मां के ही बदौलत है ।।
जो मंदिर में प्रार्थना करें सिर्फ अपने बच्चों के लिए वह है मां ।
मां गंगा से निहोरा करें अपने बच्चों के लिए वह है मां ।।
हर आशीर्वाद में दुआ निकले अपने बच्चों के लिए वह है ।
जिसका सर कहीं भी झुक सिर्फ अपने बच्चों के लिए वह है मां,
माँ तो माँ है
बिना बताए वह हर बात जान लेती है वह है मां
बच्चों की आवाज से सुख दुख पहचान जाए वह है मां ।।
रिश्तो की गहराइयां तो देखोचोट लगे बच्चो को तो सीहर उठती है मां,
मा तो माँ है
मैं इत्र सी महकू ये आरजू नही है मेरी ।
कोशिश यही है मेरे किरदार मे मेरी माँ सी खुशबू आये।।
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नीलम दूबे
कंपोजिट विद्यालय रायगंज
क्षेत्र -खोराबार, गोरखपुर
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