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बच्चें

बच्चें
आज हमारा कल भी हैं 
कुछ सीधे कुछ चंचल भी हैं 
कुछ शैतानी के गुब्बारे
कुछ फूलों से कोमल भी हैं 
कभी काम सारा कर जाते 
कभी सुनकर अनसुना दिखाते
कभी खुद हँस कर हमें हँसाते
कभी खुद रो रो कर व्यथा सुनाते
बातों का खज़ाना है उनके पास 
सब सुनले बन जाए उनके खास
आस लगाकर राह निहारे
मैडम जी आयेंगी जब 
क्या हुआ उनके साथ बतलायेंगे सब
अपनी भाषा में खोल पिटारा 
शिकायतों के सारे
बच्चे कितने प्यारे
बच्चे कितने प्यारे
आज हमारा कल भी हैं 
कुछ सीधे कुछ सीधे कुछ चंचल भी हैं ।। 

                                ✍️           
                          नूतन शाही (स०अ०) 
                          प्राथमिक विद्यालय, बेलवार
                          खोराबार, गोरखपुर

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