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आशाओं का दीप

आशाओं का दीप

आओ, आशाओं का एक नया दीप जलाते है...
तम नयनों की  ताराएं  सब
हठ करती हो बाधाएं जब 
दुख के बादल घिर आए हो तब
अधरों पर मुस्कान को सजाते है,
आओ, आशाओं का एक नया दीप जलाते है...
रागों में मल्हार न हो जब
वसंत में बहार न हो जब
कांटे बिखरे हो राहों में जब
मन उपवन में भंवरो का गीत सुनाते हैं
आओ, आशाओं का एक नया दीप जलाते है...
बिंब का प्रतिबिंब न हो तब
परछाईं भी साथ ना दे तब
कंधे को कंधा न हो तब
आंखों में सपनों का जहां बसाते है
आओ, आशाओं का एक नया दीप जलाते है...
नैया में पतवार न हो जब
तलवारों में धार न हो जब
सांसे भी टूट रही हो जब
हारी हिम्मत को हौसलों से बढ़ाते है
आओ, आशाओं का एक नया दीप जलाते है...
सत्य झूठ की आड़ में हो तब 
मौन में आवाज  न हो जब
शब्दो की पहचान न हो तब
भाषा में अभिलाषा का रंग मिलाते हैं
आओ, आशाओं का एक नया दीप जलाते है...

✍️
सुकीर्ति तिवारी
सहायक अध्यापक
कम्पोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय करहिया, जंगल कौड़िया गोरखपुर

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