परधानी
परधानी
प्रत्येक पाँच वर्षों के अंतराल पर
हमें, आपको, हम सबको
मिलता है एक मौका
कि हम चुनें एक कर्णधार
जो उत्तरोत्तर प्रगति की ओर ले जाए
गाँव-क्षेत्र के विकास की नौका
जो कर सके गाँव-क्षेत्र का
बहुमुखी विकास
जो दे सके हमें
एक बेहतर भविष्य की आस
जिस के कार्यकाल में हम
ले सकें चैन-ओ-सुकून की साँस
जो कथनी नहीं, करनी में
करता हो विश्वास
जो सियासत को न समझे
बाप की जागीर
जो खींचते गाँव-क्षेत्र की
एक नई तस्वीर
लेकिन, हाय रे हमारी अपरिवर्तित मानसिकता!
बांध लेते हैं हमें अनेकानेक प्रलोभन
नहीं कर पाते हम प्रत्याशियों का
चरित्रांकन- मूल्यांकन
चुनने को एक व्यक्ति
जिसके हाथ में रहेगी
गांव-क्षेत्र की पतवार
हम जाति, वर्ग,धर्म और समुदाय को
बनाते हैं अपना आधार
और झेलते हैं पाँच वर्षों तक
दुख का दंश
नहीं मिलता हमें सुकून का
एक भी अंश
बीत जाते हैं यूँही पाँच साल
नहीं होता हमारा कोई भी पुरसाहाल
चुनाव फिर से आते हैं
यही प्रक्रिया हम दोहराते हैं
शोषण, भ्रष्टाचार,गरीबी की चक्की में
हम पिसते जाते हैं
फिर भी यह सोच-सोच कर मुस्काते हैं
गर्व से सीना फुलाते हैं
कि हमारी जाति-धर्म के लोग
गाँव की सरकार चलाते हैं।
✍️
राहुल शर्मा
प्रधानाध्यापक/ एकेडमिक रिसोर्स पर्सन
बेसिक शिक्षा परिषद,श्रावस्ती।
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