क्या सूझी आपको
बैठकर ए०सी० में महोदय आप तो हरते ताप को
झुलसने बच्चों को बुलाया क्या सूझी है आपको
झुलसने बच्चों को बुलाया क्या सूझी है आपको
खेत की मेंड़ पर बैठे तरसी आँखें पथराई हैं
कुछ को मात्र 1400 देकर आपने कर दी मुँह दिखाई है
छूटे- रोये किसान कितना कौन समझे संताप को
कुछ को मात्र 1400 देकर आपने कर दी मुँह दिखाई है
छूटे- रोये किसान कितना कौन समझे संताप को
भूख नही हावी केवल मदद चाहिए परिवार को
मजदूरी करके पाला किसानों ने परिवार को
अपना हक़ देकर शिक्षक मदद करते उन माँ-बाप को
मजदूरी करके पाला किसानों ने परिवार को
अपना हक़ देकर शिक्षक मदद करते उन माँ-बाप को
बस एम०डी०एम० के लिए ही बच्चे नहीं तरसते हैं
माँ-बाप को बेगार देखकर वो भी सिसकते हैं
बेरोजगारी -मँहगाई बढ़ाती है अनुताप को
माँ-बाप को बेगार देखकर वो भी सिसकते हैं
बेरोजगारी -मँहगाई बढ़ाती है अनुताप को
शिक्षादान देने का माध्यम कहीं रहा अब शिक्षक है
झोला लिए हाथ सरकारी घर-घर घूमता भिक्षुक है
जनता - सरकार के बीच कोसता अपने - आप को
झोला लिए हाथ सरकारी घर-घर घूमता भिक्षुक है
जनता - सरकार के बीच कोसता अपने - आप को
व्यवस्थाओं की बेदी पर कौन कहाँ हवन होता है
भृष्टाचार के बीच यहाँ इंसान दफन होता है
दुविधाएँ कितनी कैसी हैं कौन बताये नाप को
----- निरुपमा मिश्रा "नीरू "
भृष्टाचार के बीच यहाँ इंसान दफन होता है
दुविधाएँ कितनी कैसी हैं कौन बताये नाप को
----- निरुपमा मिश्रा "नीरू "
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