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तत्काल

तत्काल 
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वेतन मिले विभाग से,
और काम की लगे झड़ी,
अफरा -तफरी मच रही,
किसको किसकी है पड़ी ।

गूँजती है पैसे की खनक,
फरियाद कब किसने सुनी,
उठाया बोझ अपना स्वयं,
उसने जिसके सिर पड़ी ।

सुबह शाम है गूगली,
 हुआ जान को युद्ध,
और नियम बैठे बाँचते ,
सब काम करेंगे शुद्ध।

सब काम करेंगे शुद्ध,
न सुध-बुध खाने की,
मौसम चाहे जो हो जाए,
न चिंता आने -जाने की।

लिंक पड़ा है मोबाइल में,
खोलो और तत्काल भरो,
हैं आदेश यही आते रहते ,
तत्काल करो, तत्काल करो।

मरना चाहते हो तो ठहरो!
अरे पहले ये सब काम करो,
चार्ज छोड़ नो-ड्यूज कराओ
फिर चाहे तो तत्काल मरो । 


नोट -- सुबह-शाम की पावन गोधूलि नहीं गूगली अर्थात सुबह -शाम होने वाली गूगल मीट । 

✍️
प्रदीप तेवतिया  ।
7819889835

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