माला की कविता
वर्ण-माला की कविता(वर्ण क्रमानुसार)
"अ"म्बर सा उद्देश्य लिए तुम,
"आ"गे-आगे बढ़ते जाओ।
"इ"ठलाना तो अहंकार है,
"ई"श्वर के चरणों में जाओ।।१।।
"उ"त्तम बुद्धि विवेक मनुज तुम,
"ऊ"पर हो जड़ जीव जगत में।
"ऋ"षि पुत्र अनमोल धरा पर,
"ए"क अकेली जाति तुम्हारी।।२।।
"ऐ"च्छिक नही तुम्हारा जीवन,
"ओ"ठों से गुण गान करो प्रभु ।
"औ"र भजो भगवत कीर्तन मन,
"अं"न्तर्मन से ध्यान करो प्रभु।।३।।
"क"हो वही जो कर दिखलाओ,
"ख"ल संगति से दूर रहो तुम।
"ग"रल नहीं अमृत बन जाओ,
"घ"र-अपने अनुकूल रहो तुम।।४।।
"च"लो समय के साथ सहज बन,
"छ"द्म वेष धारण कर मत करना।
"ज"रा संभल कर कदम बढ़ाओ,
"झं"झट से बल दे कर लड़ना।।५।।
"ट"कराए मानव ना कोई,
"ठौ"र जहाँ तुम स्वर्ग बनाओ।
"ड"रे-डरे जो सहमे मानव,
"ढा"ल उन्ही के तुम बन जाओ।।६।।
"ते"रा वैभव अमर रहे जग,
"थो"ड़ा धैर्य धरो जीवन मे।
"दि"खलादो पौरुष अब अपना,
"ध"र्म धरो अपने तन-मन में।।७।।
"ना"म करो नित उन्नति करके,
"प्र"गति शील मानव कहलाओ।
"फ"ल की चिंता किये बिना तुम,
"ब"ल भर कर्म करो मुस्काओ।।८।।
"भ"र लो प्रेम हृदय हर्षित हो,
"मा"नवता का पाठ पढ़ाओ।
"य"ह क्षण परिवर्तन की बेला,
"रा"ग मधुर अनुपम रस गाओ।।९।।
"ला"लच लोभ मोह मद छोड़ो,
"व"न में चलो राम बन जाओ।
"श"वरी के मीठे फल खाकर,
"ष"डयंत्रों को दूर भगाओ।।१०।।
"स"दा सर्वदा भारत की जय,
"हो"सुन्दर परिवेश तुम्हारा।
"क्ष"मा पले हर जन-गण-मन-मन में,
"त्रा"ण करो भू-भारत सारा।।११।।
"ज्ञा"न वान गुणवान बनो तुम,
ज्ञाता बनकर छा जाओ ।
ज्ञानालाय धरती को समझो,
ज्ञापक बन नहि इतराओ।।१२।।
✍️
रमेश तिवारी
प्रभारी प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय हरमन्दिर खुर्द
क्षेत्र-फरेन्दा
जनपद-महराजगंज
उत्तर-प्रदेश
जङ्गम दूर वाणी -९८३९२५३८३३
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