आजादी का पर्व मनाए
आजादी का पर्व मनाए
आजादी का पर्व सजाएं
मिल आजादी का
अमृत महोत्सव बनाएं।
भारत के स्वर्ण स्वरूप पर
पताका हम लहराए।
शुद्ध सरस राष्ट्रगान अपना,
एक सुर में सब गाए।
आजादी का पर्व मनाए।
अंतःहृदय में सहेज लो, स्मृतियां देश के स्वाभिमान की।
है रचित गाथाएं कई
वीरों के गुणगान की।
हुंकार भर दे नव पीढ़ी फिर से, उदित हो चिंगार
देश के नव उत्थान की। आत्मनिर्भर बने भारत,
नव वेग से वायु बहे,
कह रही वायु कथा अब,
देश के पावन शिष्टाचार की।
हौसले जिंदा रहेंगे,
हर दिलों में जब तलक।
ला सकेंगे खींचकर,
तारे भी जमीन तलक।
है जरूरत देशभक्ति की,
सीढ़ियां बनाने की ।
है धरा का निर्मल ,
सुंदर रूप अब भी,
है बारी तुम्हारी भारत को
सर्वोच्चता पर लाने की।
आजादी का अमृत महोत्सव
मिल सब आज मनाएं।
रहे हष्ट पुष्ट सुंदर भारत अपना, त्याग विश्राम के कुंठित भाव को, भारत को निज दृढ़ प्रयास से,
हर क्षेत्र में अति उत्तम बनाएं।
कामयाबी जारी रहेगी विश्वास की,
बने शिक्षा में निपुण भारत अपना, है जरूरत कर्म से परिपूर्ण,
नवकुसुमो में संस्कार की।
है अगर बाकी दिलों मे,
भावना देशभक्ति कीअभी,
सीख लो नव आचरण,
देश पर मर मिटने की।
मां भारती अब भी...
वही खड़ी निहारती।
बस जरूरत है तुम्हें,
वीर चोला वरण करने की।
हां आओ मिल आजादी का
75 वां वर्ष मनाएं
युगो युगो तक धरती पर
आजादी का यही स्वरूप लहराए। आओ आजादी का
मिल सब पर्व सजाएं।
ये पवन पर्व मनाए।।
दीप्ति राय (दीपांजलि)
सहायक अध्यापक
कंपोजिट विद्यालय रायगंज खोराबार गोरखपुर
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