उठो उठो हे वीर जवानों
उठो उठोे हे वीर जवानों
भारत तुम्हें पुकार रहा है,
कितना दम है तेरे अंदर
पाक तुम्हें ललकार रहा है
उसको बतला दो गीदड़ की
जब मौत निकट आ जाती है
जंगल से बाहर पग उसका
अहंकार में लाती है,
इतना गुरूर हुआ क्यों उसको
उसके गुरूर को तोड़ेंगे
कसम है भारत माता की
हम उसको ना छोड़ेंगे
लगता पैसठ भूल गया वो
भूल गया इकहत्तर
निन्यानबे का कारगिल भूला
जब वो भागा घर के अन्दर
उन्नीस में घर घुस के मारा
मिटा दिया अभिमान
पर ये अब भी न सुधरेगा
ये है पापी पाकिस्तान
अभी समय है बदल जा बेटा
घर में घुसकर मारेंगे
एक एक कतरे की कीमत
मां का कर्ज उतारेंगे
बहुत दे दिया मौका हमने
अब ना मौका देंगे
तेरी करनी का फल हम
एयर स्ट्राइक से देंगे।
उठो उठोे हे वीर जवानों
भारत तुम्हें पुकार रहा है,
कितना दम है तेरे अंदर
पाक तुम्हें ललकार रहा है।
जब मौत निकट आ जाती है
जंगल से बाहर पग उसका
अहंकार में लाती है,
इतना गुरूर हुआ क्यों उसको
उसके गुरूर को तोड़ेंगे
कसम है भारत माता की
हम उसको ना छोड़ेंगे
लगता पैसठ भूल गया वो
भूल गया इकहत्तर
निन्यानबे का कारगिल भूला
जब वो भागा घर के अन्दर
उन्नीस में घर घुस के मारा
मिटा दिया अभिमान
पर ये अब भी न सुधरेगा
ये है पापी पाकिस्तान
अभी समय है बदल जा बेटा
घर में घुसकर मारेंगे
एक एक कतरे की कीमत
मां का कर्ज उतारेंगे
बहुत दे दिया मौका हमने
अब ना मौका देंगे
तेरी करनी का फल हम
एयर स्ट्राइक से देंगे।
उठो उठोे हे वीर जवानों
भारत तुम्हें पुकार रहा है,
कितना दम है तेरे अंदर
पाक तुम्हें ललकार रहा है।
रचयिता
दीपक कुमार यादव (स•अ•)
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह, महसी, बहराइच
मो• 9956521700
दीपक कुमार यादव (स•अ•)
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह, महसी, बहराइच
मो• 9956521700
waah
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