दीवाली
दीवाली
भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पहचान दीवाली।
कार्तिक मास के दिन घने अँधेरे को दूर करने आती दीवाली।।
नव वर्ष के आगमन की बेला बताती दीवाली।
खुशियों की सौगात लिये हर वर्ष आती दीवाली।।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दीवाली।
अंधकार पर प्रकाश की विजय दीवाली।।
समवृद्ध सम्पति प्रगति की आराधना का पर्व दीवाली।
खुशियों की सौगात लिये हर वर्ष आती दीवाली।।
उल्लास भाईचारे प्रेम की रीत दीवाली।
व्यस्ततम जिंदगी में मिलन की राह दिखाती दीवाली।।
आपस में मिल-जुल खुशियां बांटने का अवसर दिलाती दीवाली।।
खुशियों की सौगात लिये हर वर्ष आती दीवाली।।
धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक विरासत की पहचान दीवाली।
आपस के मनमुटाव को दूर कर रिस्तों का डोर मजबूत बनाती दीवाली।।
वर्ष भर की गन्दगी को दूर कर घर को स्वच्छ व निर्मल बनाती दीवाली।।
खुशियों की सौगात लिये हर वर्ष आती दीवाली।।
जीवन में शांति सद्कर्म की प्रेरणा देती दीवाली।
नफरत की दिवार गिरा आपसी भाईचारा सिखाती दीवाली।।
धन धान्य खुशहाली की वाहक दीवाली।
संस्कार परम्परा रीती रिवाज को संजोने आती दीवाली।।
खुशियों की सौगात लिये हर वर्ष आती दीवाली।।
✍ रचनाकार :
रवीन्द्र नाथ यादव (स.अ.)
प्राथमिक विद्यालय कोडार उर्फ़ बघोर
नवीन क्षेत्र-गोला
जनपद-गोरखपुर।
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