माँ
जहाँ से खूबसूरत थी मेरी छोटी सी दुनिया वो
मां जब गोद में लेकर, तुम आँचल में छुपाती थी।
पिलाती थी मुझेअमृत,तुम सीने से लगाती थी
कमर की भूलकर पीड़ा, तुम घंटों बैठ जाती थी।
हमेशा भूख से ज्यादे,कटोरी भर के लाती थी
बजाके झुनझुना,झुनझुन तुम धोखे से खिलाती थी।
साधू से डराती थी, पुलिस को तुम बुलाती थी
खिलाने के लिये मुझको नये तरकीब लाती थी।
कभी आटे की लोई से, चिरैया तुम बनाती थी
हथेली की तेरी खूशबू, चिरैया में समाती थी।
हर घंटे में जगती थी, मुझे कंबल से ढकती थी
तेरी ममता भरी चिंता,तुझे सोने न देती थी।
मुझे टीका लगाती थी, कभी ताबीज लाती थी
कमर में बांधती करधन, नजर से तुम बचाती थी।
मैं बस्ता लेकर आता था, मेरी तुम राह तकती थी
टिफिन खाया कि न खाया हमेशा प्रश्न करती थी।
छिपा कर उंगलियां तेरी, सुनहरी नींद लाती थी
सुनाकर लोरियाँ रुनझुन, तुम थपकी से सुलाती थी।
जरा तकलीफ में मेरी, मनौती मानती थी तुम
न जाने कितने सिक्कों से नजर उतारती थी तुम।
तेरी ममता को शब्दों से सुना पाना कठिन है मां
कलम की रोशनाई से यह लिख पाना कठिन है मां।
वो सारे शब्द श्रद्धा के,हृदय से तुमको अर्पित मां
मेरी हर भावना मन की, है चरणों में समर्पित मां।
मदर्स डे❣
रिवेश प्रताप सिंह
शिक्षक
गोरखपुर
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