गैरों की क्या बात करें,जब अपने ही सब भूल गए|
कुछ दोस्त मिले थे सपनो में,सपनो की तरह ही छूट गए।
हम समझे ये रिश्ते जीवन भर के हैं,
पर जीवन का भरोसा नहीं।
कब छूटे डोर कहाँ किससे,ये दिल को बताना भूल गए।
गैरों की क्या बात करें,जब अपने ही सब भूल गए....
चंद्रजीत सिंह 28/10/2015
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