Breaking News

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

फिर उजाले से हमें धोखा हुआ है क्यों भला
साँप जैसे कौन ये लिपटा हुआ है क्यों भला
गोद सूनी,माँग सूनी, बुझ गया रोशन दिया
चल रही सरहदों पर बेहरम ये हवा है क्यों भला
----- निरुपमा मिश्रा " नीरू"

कोई टिप्पणी नहीं