फिर उजाले से हमें धोखा हुआ है क्यों भला
साँप जैसे कौन ये लिपटा हुआ है क्यों भला
गोद सूनी,माँग सूनी, बुझ गया रोशन दिया
चल रही सरहदों पर बेहरम ये हवा है क्यों भला
----- निरुपमा मिश्रा " नीरू"
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
Reviewed by Nirupama Mishra
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January 26, 2016
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