एक विनती माँ से
रिद्धि व सिद्धि प्रदायक माँ करके किरपा मम द्वार पधारें
प्रेम प्रकाश यहाँ बिखरे सबके मन-मंदिर दीपक बारें
मानव रक्त पिपाषु बना उसके अब तो सब कर्म सुधारें
लेखक
निर्दोष कान्तेय
काव्य -: मत्तगयन्द सवैया
शिल्प -: 7 भगण+गुरु गुरु, चार पद, 23 वर्ण प्रत्येक पद में।
{(2+1+1)7+ 2+2}4
बिलकुल गणितीय है भैया?
जवाब देंहटाएंह्ह्ह्ह
दो चार लाइन में इसकी गुणा गाँठ भी समझा दिया करिए तो हम लोग कॉपी ही जोड़ के जांच दिया करेंगे।
ह्ह्ह्ह
मानव रक्त पिपाषु बना उसके अब तो सब कर्म सुधारें
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क्या बात है ND भाई..... वाह.......
माँ पर अति सुंदर रचना ।
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