शरद पूर्णिमा का महत्व धरा अपनी कितनी खुशकिस्मत,मंद-मंद मुस्काती है। दिन दिनकर का,रात सुधाकर, का साथ पाती है।। जीवनदायिनी धरा है अपनी,सूर्य द...Read More
शरद पूर्णिमा का महत्व
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अक्टूबर 06, 2025
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शिक्षक हैं भगवान नहीं हैं एकल विद्यालय चलवाते, ऑनलाइन सब काम कराते। ऑफलाइन घोड़े दौड़ाते, इतने पर भी नहीं अघाते। हम कोई शैतान नहीं हैं, दिए हु...Read More
शिक्षक हैं भगवान नहीं हैं
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सितंबर 25, 2025
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हिन्दी हिंदी भारत का गौरव है, भारत की यह आशा है। दादी-दादा मात-पिता, सबकी यह पहली भाषा है।।१।। हिंदी से पहचान मिली है, हर सपनों को जान मिली ...Read More
हिन्दी
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सितंबर 15, 2025
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शिक्षक (प्रेरणा गीत) शिक्षक हैं हम काम यही हो, शिक्षण में विश्राम नहीं हो, पढ़ने में जो दक्ष नहीं हैं, दक्ष बनें सब लक्ष्य यही हो, लक्ष्य यही...Read More
शिक्षक
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सितंबर 04, 2025
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देश देश में ही रहें, देश के ना रहें, देश में सोचो कैसे अमन आएगा। देश के रंग में,जो रंगा ना अभी, देश से द्वेष कर वो किधर जाएगा। देश ने क्या द...Read More
देश
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अगस्त 19, 2025
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विटामिन्स और उनके स्रोत गाजर कद्दू और पपीता,दूध घी और मछली का तेल। विटामिन ए के स्रोत सभी हैं कभी न होती आंखे फेल।। गेहूं जई दालें दूध दही, ...Read More
विटामिन्स और उनके स्रोत
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अगस्त 14, 2025
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ये यूपी बना निराला (व्यंग) जहाँ गाँव-गाँव खोलें मधुशाला बन्द करें पठशाला, ये यूपी बना निराला, ये यूपी बना निराला।। जहाँ मदिरालय कम्पोजिट हो ...Read More
ये यूपी बना निराला
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अगस्त 02, 2025
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बच्चे और उनका स्वास्थ्य स्वास्थ्य एक अनमोल रतन है,जीवन का आधार है। स्वास्थ्य बिना सब जग सुना, बिन सौदा बाजार है।। बच्चों अपने स्वास्थ्य का,ध...Read More
बच्चे और उनका स्वास्थ्य
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अगस्त 02, 2025
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बेसिक शिक्षक और छात्र हम बेसिक के शिक्षक, बच्चे,बेसिक स्कूल हमारा है। हम सब इसके रखवाले हैं,ये हमको बहुत प्यारा है।। रोज सुबह होकर तैयार हम ...Read More
बेसिक शिक्षक और छात्र
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जुलाई 23, 2025
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जीवन का पथ बहुत विकट हैं नदी तुम्हारा उद्गम क्या है, कहाँ-कहाँ तक जाओगी। किससे मन की बात कहोगी, किसके हृदय समाओगी।।१।। किसकी रचना इतनी सुंद...Read More
जीवन का पथ बहुत विकट हैं
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जुलाई 10, 2025
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कैसी है सरकार सब बच्चे पढ़ें सब बच्चे बढ़े। यही है सर्व शिक्षा का अभियान।। बाल शिक्षा का भी अधिकार।।। छीन रही कैसी है यह सरकार।।। बच्चे अब गा...Read More
कैसी है सरकार
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जुलाई 05, 2025
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पाठशाला बंद कैसी विपदा,कैसी मनसा खुशियां सारी झुलस रही है। विद्यालय के सारे फूल मूर्छित होने को बेबस है। यह कैसे काँटे उगे राहों में,हर ओर क...Read More
पाठशाला बंद
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जून 22, 2025
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योग योग शरीर का शासन है, अनुशासन से यह रोग भगावे। चित्त के रोज निरोध करे, अरु इन्द्रिय संयम पाठ पढ़ावे।।१।। सिंधु के काल से भारत भाल को, विश्...Read More
योग
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जून 21, 2025
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नमन हम सभी रचनाकार जब भी कहीं कोई भी घटना होती है तो अपने आंखों के मन से एक कल्पना करते हुए उस घटना को कविता का रूप या कहानी का रूप दे देते ...Read More
नमन
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जून 17, 2025
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ग्रीष्म ऋतु धरती का जो ताप बढ़ रहा, सोचो किसका पाप बढ़ रहा। कौन वृक्ष वन काट रहा है। मृत्यु निमंत्रण बाँट रहा है।।१।। धरती अब अंगार बनी है, मा...Read More
ग्रीष्म ऋतु
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जून 16, 2025
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तपती दोपहरी तपती दोपहरी में भइया, गर्मी से है हाल बुरा। तपता सूरज ,चढ़ता पारा, व्याकुल है यह तन-मन सारा।। पंखे नें है हार मान ली, फेल हो गए...Read More
तपती दोपहरी
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जून 15, 2025
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रक्तदान का संकल्प ह्रदय से धमनियों द्वारा,जीवित शरीर में निरंतर होता शुद्ध रक्त प्रवाह। ईश्वर कृपा से मनुष्य जीवन मिला,सार्थक कर रक्तदान से ...Read More
रक्तदान का संकल्प
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जून 11, 2025
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मैं धरती हूँ अब कहती हूँ, मैं मौन हुए सब सहती हूँ। पाला पोषा और बडा किया, हमने ही तुमको खड़ा किया। तुम इतना क्यों इतराते हो, थोड़ा भी समझ न पा...Read More
मैं धरती हूँ
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जून 03, 2025
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जन्मभूमि भी हुई पराई ,कैसी रीत जगत ने बनाई । मन ही मन में बेटी सोचे ,पीहर से कोई बोले न जाओ ..... बाबुल मैया के मन बदले ,पोते पोती ज्यादा भ...Read More
जन्मभूमि भी हुई पराई
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मई 26, 2025
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नेपोलियन ------------- हाँ, हाँ, वही — वही नेपोलियन, गली के कोने पर कूड़े के ढेर से बने पिरामिड को अपना साम्राज्य समझने वाला, और खुद को उसका...Read More
नेपोलियन
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मई 26, 2025
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अंक ज़रूरी हैं, पर जीवन सिर्फ अंकों से नहीं चलता। इसलिए अब वक्त है कि हम इस अंधी दौड़ से बाहर निकलें और बच्चों को उनके नंबरों से नहीं, नजरि...Read More
अंकों की दीवार
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मई 15, 2025
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वक़्त चाहिए सपनों को आकार देने में हर महान निर्माण की शुरुआत एक छोटे, अनदेखे प्रयास से होती है। जो हाथ से फिसला, वही सबक बनकर वापसी की राह द...Read More
वक़्त चाहिए सपनों को आकार देने में
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मई 06, 2025
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कभी सरकारी बसों की शोभा और लोकतंत्र की प्रतीक रही “विधायक/सांसद हेतु आरक्षित सीट” अब बस के कोने में चुपचाप धूल फांक रही है। बदलते राजनीतिक च...Read More
मैं वही सीट हूं
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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मई 05, 2025
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यह ग़ज़ल उस मध्यमवर्गीय मानसिकता का आईना है, जो दो छोरों के बीच झूलती रहती है — एक ओर अहंकार, दूसरी ओर दीनता। समाज में जीने की मजबूरी उसे बा...Read More
हर रोज़ दो चेहरों में ढलता है आदमी
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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मई 04, 2025
Rating: 5