जीवन का पथ बहुत विकट हैं
जीवन का पथ बहुत विकट हैं
नदी तुम्हारा उद्गम क्या है,
कहाँ-कहाँ तक जाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।१।।
किसकी रचना इतनी सुंदर,
किसके गर्भ पली होगी।
संस्कार किसके हैं तुममें,
इतनी सरल ढली होगी।
मौन हुए कब तक दौड़ोगी,
कहाँ-कहाँ तक जाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।२।।
किसके आँचल की छाया में,
शीतलता पाई होगी।
जिसने तुमको विदा किया,
क्या दया नहीं आई होगी।
पथ में संकट विकट मिलेंगे,
किसको कथा सुनाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।३।।
कौन भला निष्ठुर निर्दय जो,
घर से बेघर कर डाला।
तुम हो कोमल पाँव सुकोमल,
पाँवों में अगनित छाला।
पाँवों में छाले ले करके,
कैसे कदम बढाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।४।।
जीवन का पथ बहुत विकट है,
दुष्कर है जो नहिं सरपट है।
मिलेंगे पथ काँटों के जंगल,
कैसे होगा तेरा मंगल।
राहों में जो भूख लगेगी,
तो बोलो क्या खाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।५।।
राहों में पत्थर भी होंगे,
कुटिल कंकड़ों के घर होंगे।
जिससे तेरा वदन छीलेगा,
दुःख दर्द संताप मिलेगा।
काँटों के बिस्तर पर तुम,
सुख शान्ति कहाँ तक पाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।६।।
नत होकर फिर अवनत होना,
जीवन में पाकर कुछ खोना।
काँटों की क्यारी में निसदिन,
प्रेम सुवासित पुष्प ही बोना।
महकाने धरती का ऑंगन
कब तक दौड़ लगाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।७।।
लौट चलो कहना तुम मानो,
मुझको अपना प्रिय जन जानो।
ना मानी तो पछताओगी,
कैसे घर वापस आओगी।
खुद अपना अस्तित्व मिटाकर,
किसको व्यथा सुनाओगी।
किससे मन की बात कहोगी,
किसके हृदय समाओगी।।८।।
✍️
रमेश तिवारी
(सहायक अध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय हरमंदिर खुर्द,
क्षेत्र -फरेन्दा
जिला - महराजगंज (उत्तर प्रदेश)
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