Breaking News

माँ की ममता

llमाँ की ममताll
                                                                                     तेरेआँचल में ही बीता  बचपन,
सदा आगोश में रख बनी रहती थी साया,
सारी खुशियाँ सारा सुख
भूल कर मेरी ख़्वाहिशों के लिये,
समर्पित कर देती थी अपना तन मन।

तेरी दुवाओं ने इस कदर रहमत बक्शी है,
दुनियां ने इतना चोट दिया है फिर भी,
रहती हूं जिम्मेदारियों में खोई,
दुष्वारियों को सह के, खुश और सकूँ से।।

ईष्वरीय सत्ता को तो मुझे पता नही,
पर माँ तुझे याद कर जाने क्यों मुझे असीमित साहस शक्ति मिलती है।।

गम हो दुःख हो या कोई खुसी,
माँ तुझे सोच तेरी तस्वीर से ही वर मांग लेती,
सच है देर सवेर मिल भी जाती जो भी होती ख्वाहिस मेरी।।

सारा जीवन भी अर्पण कर दे तेरे चरणों मे,
फिर भी न चुका सकते तेरे त्याग तपस्या बलिदान को हम सब।।

बहुत याद आ रही हो आज माँ,
कोई नही जिससे कह सकूँ अपने जज्बातों को,
समझ सके मेरे दिल के हालात।।

काश तू होती तो मेरे अपने भी मुझे गैरो की तरह रुसवा न करते,
कुछ न कहती तेरे आशीष से सब कर रही हूं।
बस मुझे यह यहसास यह रहता मेरे सर पे मेरी माँ का साया है।।
    
✍ रचनाकार :
     ममताप्रीति श्रीवास्तव
     स0अ0, प्रा0 वि0 बेईली
     बड़हलगंज,  गोरखपुर

1 टिप्पणी: