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हिन्दी दिवस

हिन्दी है हिन्द की धड़कन
कोई काम न होता इसके बिन
अपनी है यह मातृभाषा
सबकी बंधी है इससे आशा
सभी जगह यह बोली जाती
बाप , दादा हो या नाती
इसके बिना न चलता काम
इससे होते सारे काम
हिन्दी है हिन्द की धड़कन
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
चारों दिशा में जो जाते
जो हिन्दी बोले उसको ही अपना पाते
जो हिन्दी बोल न पाता
हिन्दुस्तान से उसका कैसा नाता
हिन्दी हिन्दुस्तान की
सारे जग के आवाम की
इसमे छिपी हैं बातें अनुपम
हिन्दी है हिन्द की धड़कन
हम बंगाली , हम मद्रासी
हम पंजाबी , गुजराती हम
पर उससे भी पहले ही
आपस में हिन्दी भाई हैं हम
कितनी मीठी इसकी पकड़न
हिन्दी है हिन्द की धड़कन
सीख लो मेरी प्यारी मुनिया
हिन्दी से है अपनी दुनिया
सुन्दर सुन्दर प्यारी बातें
हिन्दी में ही हम लिख पाते
कहानी, कविता निबन्ध या लेखन
हिन्दी मे सुन्दर होता सृजन
कलम चले न इसके बिन
हिन्दी है हिन्द की धड़कन

रचनाकार
सारिका तिवारी, प्र0अ0,
उ0प्रा0वि0 फुलवामऊ,
वि0क्षे0 बहुआ,
जनपद फतेहपुर।

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