सबसे प्यारी हिंदी है
भारत माँ के मस्तक पर
शोभायमान जो बिंदी है।
वह सरस सरस और मधुरमयी
सबसे प्यारी हिंदी है।।
शोभायमान जो बिंदी है।
वह सरस सरस और मधुरमयी
सबसे प्यारी हिंदी है।।
सबको किया समाहित स्वयं में
नहीं रही प्रतिद्वंदी है।
कलमकार की पथ प्रदर्शक
जगमग ज्योति हिंदी है।।
नहीं रही प्रतिद्वंदी है।
कलमकार की पथ प्रदर्शक
जगमग ज्योति हिंदी है।।
अंगीकार किया संस्कृति को
पावनतम कालिंदी है।।
अलंकार, रस, छंद अनूठे
भावी जग वाणी हिंदी है।।
पावनतम कालिंदी है।।
अलंकार, रस, छंद अनूठे
भावी जग वाणी हिंदी है।।
रचयिता
अजीत शुक्ल, स0अ0,
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।
अजीत शुक्ल, स0अ0,
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।
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