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स्वच्छता गीत

खेत, सड़क या हो रेल की पटरी,
कहीं न गन्दगी फैलाओ,
स्वच्छता की ओर कदम बढ़ाओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

पढ़ी लिखी बहु घर मे लाओ,
बिटिया को भी खूब पढ़ाओ,
समाज में अपना मान बढ़ाओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

पीलिया, हैजा हो या हो पेचिश,
अस्वच्छता की ही है यह साज़िश,
रोग से मुक्त घर बार बनाओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

घनी रात हो या हो बारिश,
असुरक्षा का भाव मिटाओ,
माँ बहन का सम्मान बचाओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

सोने की चिड़िया को फिर से,
सोने की चिड़िया बनाओ,
स्वच्छ भारत का संकल्प अपनाओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

कंडे उपले बाहर फेंको,
शौचालय प्रयोग में लाओ,
कभी न बाहर शौच को जाओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

बस एक बात को जान लो प्यारों,
स्वच्छता ही है हमारी पहचान।
अब तो प्यारो होश में आओ,
घर मे शौचालय बनवाओ।

रचयिता 
आमिर फ़ारूक़
सहायक अध्यापक
उच्च प्राथमिक विद्यालय औरंगाबाद माफ़ी
विकास क्षेत्र सालारपुर
जनपद बदायूँ

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