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पढ़ने सरकारी स्कूल चलें

''पढ़ने सरकारी स्कूल चलें''

नव सत्र शुरू , नव आंगन है ,
बाल मन खिलने लगा है |
ज्ञान और संस्कार का.. ,
संगम यहाँ मिलने लगा है |
हर ढंग अब बदला हुआ है ,
बीती बातों को भूल चलें |
सब मिलकर हाथ बढ़ाओ अब ,
पढ़ने सरकारी स्कूल चलें ।।

उच्च प्रशिक्षित शिक्षक हैं ,
हर ज्ञान का ये भण्डार हैं |
हर बच्चे को गुरुज्ञान मिले ,
शिक्षा का गुरुद्वार है |
विद्यालय में हर बालक को , निःशुल्क पढ़ाया जाता है |
वर्दी की कोई फीस नहीं ,
भोजन भी करवाया जाता है |
अब सबका साथ मिले हमको ,
अब इस आँगन में फूल खिले |
सब मिलकर हाथ बढ़ाओ अब ,
पढ़ने सरकारी स्कूल चलें ।।

ना जेब कटे , ना दर्द मिले ,
शिक्षण करवाया जाता है |
ना मोटी फीस के चक्कर में , शोषण अपनाया जाता है |
धन से अक्षम प्रतिभा को अब ,
शिक्षा का ज्ञान दिया जाता |
छात्रवृत्ति दे अब बालक का ,
है सम्मान किया जाता |
निजी स्कूलों के चक्कर में ,
हम अपने को भूल चले |
सब मिलकर हाथ बढ़ाओ अब ,
पढ़ने सरकारी स्कूल चले ।।

है एक निवेदन मेरा अब ,
कृपया उसका भी ध्यान रखें |
शिक्षा का अधिकार सभी को ,
इसका भी सम्मान रखें |
अब हर बच्चा साक्षर , शिक्षित हो ,
दायित्व सभी का बन जाये |
अब हर घर पढ़ा लिखा होगा , ऐसा हम प्रण कर जायें |
सरकार से अब हम कदम मिला ,
'शर्मा ' लेकर अब मूल चलें |
सब मिलकर हाथ बढ़ाओ अब ,
पढ़ने सरकारी स्कूल चलें ||

रचनाकार : श्री अश्विनी शर्मा , ( संस्कृत प्रवक्ता )
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ,
बोहड़ा कलां , गुरुग्राम

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