कचरे और सफाईकर्मी की मित्रता
विद्यालय में गोबर की तरह पसरे हुए कचरे ने अपने पुत्र से कहा,"हम यहाँ बिलकुल सुरक्षित हैं।हमें हटाने वाले सफाईकर्मी को सरकार 18000 वेतन देती है और पढ़ाने वाले अनुदेशक को 7500 इसलिये सफाईकर्मी सोचता है कि 7500 पाने वाला सफाई करे।इसीलिये तो वह हफ्ते में एक बार पान चबाता हुआ और पीक टपकाता हुआ विद्यालय का निरीक्षण करने आता है।पढ़ाते हुए मास्टर के सामने जब वह कुर्सी लगाकर बैठे-बैठे पान की पीक दीवार के कोने में मारता है तो मुझे पक्का यकीन हो जाता है कि दुनिया में यदि कोई हमारा शुभचिंतक है तो वह यूपी के गांवों में लगे सरकारी सफाईकर्मी हैं।"
लेकिन पुत्र की शंका का अभी समाधान न हो पाया था उसने चिंता व्यक्त की,"लेकिन पिताजी प्रिंसिपल बड़ा खड़ूस है,किसी दिन यदि बच्चों से कह दिया तो 200 बच्चे हमारी चिन्दी-चिन्दी स्कूल से बाहर कर देंगे।"
बाप ने अट्ठहास किया,"पुत्र ! वैदिक शिक्षा प्रणाली ख़त्म हो गयी है,अब शिष्य उतने आज्ञाकारी नहीं हैं,मास्टरों ने यदि बच्चों से पेड़ में पानी भी डलवा दिया तो अधिकारी बच्चों से काम लेने का आरोप लगाकर उन्हें निलंबित कर देंगे।सफाई की तो वे सोच भी नहीं सकते।"
पुत्र थोड़ा आश्वस्त होता हुआ संदेह प्रकट किया,"लेकिन पिताजी रसोइया से कब छुटकारा मिलेगा ?"
-"उसकी चिंता मत करो ये अवैध काम मास्टर कराते हैं,उनका संगठन जब इसके लिये आंदोलन करेगा तब मास्टर खुद ही बन्द करा देंगे।"
पुत्र ने राहत की सांस लेते हुए अंतिम प्रश्न किया,"लेकिन पिताजी,अधिकारी और शासन हमेशा सफाई के लिये मास्टरों पर दबाव डालते हैं,यदि प्रिंसिपल डर के मारे कभी खुद ही झाड़ू उठा लिया तो ?"
" उस दिन मास्टर को अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर सफाईकर्मी की नौकरी कर लेनी चाहिये,कम से कम ठाट से कुर्सी पर बैठकर पान चबाता हुआ,उसकी पीक मास्टर के सामने दीवार के कोने पर तो मार सकेगा।जो गुरु की गरिमा का ख्याल न रख सके उसे सफाईकर्मी की गरिमा अपना लेनी चाहिये।इन झाड़ूछाप मास्टरों से डरपोक हमे दुनिया में कोई नहीं लगता जो खुद अपना स्तर गिराके झाड़ू लगा सकते हैं किंतु सफाईकर्मी के खिलाफ एक एप्लिकेशन नहीं डालते।इसलिये हमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है मास्टर की झाड़ू हमे कभी यहां से नहीं निकाल सकती,हमें यहां से कोई हटा सकता है तो सिर्फ सफाईकर्मी,लेकिन वह हमारा मित्र है,इसलिये निश्चिन्त रहो पुत्र।हमारा भविष्य सुरक्षित है।"
लेकिन पुत्र की शंका का अभी समाधान न हो पाया था उसने चिंता व्यक्त की,"लेकिन पिताजी प्रिंसिपल बड़ा खड़ूस है,किसी दिन यदि बच्चों से कह दिया तो 200 बच्चे हमारी चिन्दी-चिन्दी स्कूल से बाहर कर देंगे।"
बाप ने अट्ठहास किया,"पुत्र ! वैदिक शिक्षा प्रणाली ख़त्म हो गयी है,अब शिष्य उतने आज्ञाकारी नहीं हैं,मास्टरों ने यदि बच्चों से पेड़ में पानी भी डलवा दिया तो अधिकारी बच्चों से काम लेने का आरोप लगाकर उन्हें निलंबित कर देंगे।सफाई की तो वे सोच भी नहीं सकते।"
पुत्र थोड़ा आश्वस्त होता हुआ संदेह प्रकट किया,"लेकिन पिताजी रसोइया से कब छुटकारा मिलेगा ?"
-"उसकी चिंता मत करो ये अवैध काम मास्टर कराते हैं,उनका संगठन जब इसके लिये आंदोलन करेगा तब मास्टर खुद ही बन्द करा देंगे।"
पुत्र ने राहत की सांस लेते हुए अंतिम प्रश्न किया,"लेकिन पिताजी,अधिकारी और शासन हमेशा सफाई के लिये मास्टरों पर दबाव डालते हैं,यदि प्रिंसिपल डर के मारे कभी खुद ही झाड़ू उठा लिया तो ?"
" उस दिन मास्टर को अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर सफाईकर्मी की नौकरी कर लेनी चाहिये,कम से कम ठाट से कुर्सी पर बैठकर पान चबाता हुआ,उसकी पीक मास्टर के सामने दीवार के कोने पर तो मार सकेगा।जो गुरु की गरिमा का ख्याल न रख सके उसे सफाईकर्मी की गरिमा अपना लेनी चाहिये।इन झाड़ूछाप मास्टरों से डरपोक हमे दुनिया में कोई नहीं लगता जो खुद अपना स्तर गिराके झाड़ू लगा सकते हैं किंतु सफाईकर्मी के खिलाफ एक एप्लिकेशन नहीं डालते।इसलिये हमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है मास्टर की झाड़ू हमे कभी यहां से नहीं निकाल सकती,हमें यहां से कोई हटा सकता है तो सिर्फ सफाईकर्मी,लेकिन वह हमारा मित्र है,इसलिये निश्चिन्त रहो पुत्र।हमारा भविष्य सुरक्षित है।"
लेखक
सच्चिदानन्द सिंह
प्रधानाध्यापक ,
प्राथमिक विद्यालय मरवटिया ,
प्रधानाध्यापक ,
प्राथमिक विद्यालय मरवटिया ,
विकास क्षेत्र नाथनगर ,
संत कबीर नगर
संत कबीर नगर
अच्छी कहानी हैं प्रधानाध्यापक जी मगर क्या सिर्फ सरकारी सफाईकर्मी ही सरकार से तनख्वाह पाता है और काम नही करता अगर ये बात आप शिक्षकों के लिये बोल दे तो आप बौखला जाओगे ।एक सफाईकर्मी पूरे गाँव काम देखता है ।जिस के लिए वो नियुक्त है उसके साथ कभी चुनाव की ड्यूटी तो कभी अधिकारियो की ड्यूटी उसके ऊपर आप लोगो के आरोप ओर वोभी किसी अतिरिक्त मानदेय और आप लोगो को एक स्कूल में 5 से 6 शिक्षक ओर बच्चे मात्र 15 से 20 ओर काम मात्र उनसे हमारे स्कूल में न आने की दुहाई देकर स्कूल की सफाई कराना उनके खाने के बर्तन मंझवाना ओर खुद एक साथ बैठ कर गप्पे मरना या ऐसी देहूदि कहानियां लिखना ।अगर सफाई कर्मी की तनख्वाह को डिवाइड किया जाये तो उसे प्रतिव्यक्ति 10 से 15 रुपए महीना ही मिलते है और आपको प्रतिबच्चा 5000 से 8000 फिर भी सफाईकर्मी हराम ओर आप ईमानदार और मेहनती ।ऐसी मानसिकता वाले अगर प्रधानाध्यापक होंगे तो देश जरूर तररकी करेगा ।आपकी सोच और उस मेहनत को मेरा सलाम जिस मेहनत को आपने बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा सफाईकर्मी के गुणगान में लगाई भलेही आपकी सोच कुछ भी रही हो मगर आपके इस साहस से कम से कम कोई सफाईकर्मियों के बारे जानेगा तो सही की वो किस दोराहे पर है ।मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं।कि आप इसी तरह सफाईकर्मियों का गुणगान करते रहे क्योकि बदनामी ही सही मगर कहि नाम तो है ।आपका एक बार फिर से धन्यवाद ओर इन शुभ विचारो को लोगो तक पहुचाने के लिए कोटि कोटि प्रणाम।
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी हैं प्रधानाध्यापक जी मगर क्या सिर्फ सरकारी सफाईकर्मी ही सरकार से तनख्वाह पाता है और काम नही करता अगर ये बात आप शिक्षकों के लिये बोल दे तो आप बौखला जाओगे ।एक सफाईकर्मी पूरे गाँव काम देखता है ।जिस के लिए वो नियुक्त है उसके साथ कभी चुनाव की ड्यूटी तो कभी अधिकारियो की ड्यूटी उसके ऊपर आप लोगो के आरोप ओर वोभी किसी अतिरिक्त मानदेय और आप लोगो को एक स्कूल में 5 से 6 शिक्षक ओर बच्चे मात्र 15 से 20 ओर काम मात्र उनसे हमारे स्कूल में न आने की दुहाई देकर स्कूल की सफाई कराना उनके खाने के बर्तन मंझवाना ओर खुद एक साथ बैठ कर गप्पे मरना या ऐसी देहूदि कहानियां लिखना ।अगर सफाई कर्मी की तनख्वाह को डिवाइड किया जाये तो उसे प्रतिव्यक्ति 10 से 15 रुपए महीना ही मिलते है और आपको प्रतिबच्चा 5000 से 8000 फिर भी सफाईकर्मी हराम ओर आप ईमानदार और मेहनती ।ऐसी मानसिकता वाले अगर प्रधानाध्यापक होंगे तो देश जरूर तररकी करेगा ।आपकी सोच और उस मेहनत को मेरा सलाम जिस मेहनत को आपने बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा सफाईकर्मी के गुणगान में लगाई भलेही आपकी सोच कुछ भी रही हो मगर आपके इस साहस से कम से कम कोई सफाईकर्मियों के बारे जानेगा तो सही की वो किस दोराहे पर है ।मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं।कि आप इसी तरह सफाईकर्मियों का गुणगान करते रहे क्योकि बदनामी ही सही मगर कहि नाम तो है ।आपका एक बार फिर से धन्यवाद ओर इन शुभ विचारो को लोगो तक पहुचाने के लिए कोटि कोटि प्रणाम।
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