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सरस्वती वन्दना

सप्त स्वरो की एक स्वामिनी सारिज हंसो वाली अपनी ज्ञान की मां है निराली वो वीणा बाली
ज्ञान की मां है निराली

मेरे मन र्मान्दर मे मैया ज्ञान की ज्योति जला दो
मेरे गुण अवगुण न निहारो ,मन मन्दिर में बस जाओ
तू ही वैष्णवी तूही रुद्राणी तू ही शारदा भवानी

अपनी ज्ञान...........

हंस कमल मे बैठी मैया मंद मंद मुस्का दो
तेरे दरश की प्यासी मैया
अपनी कृपा बरसा दो
मझधारो में नाव फंसी है
करना मा रखवाली

अपनी ज्ञान..........

रचनाकार
सारिका तिवारी, प्र0अ0,
उ0प्रा0वि0 फुलवामऊ,
वि0क्षे0 बहुआ,
जनपद फतेहपुर

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