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आईना


देश मैं रहकर, देश का खाकर
देश को धोखा देते हो...
जिसको वीरौं ने खून से सींचा,
उस भारत माँ को छलनी कर देते हो।
लहू तुम्हारा क्यौं पानी नही होता,
जब अपने ही देश को तुम बेच देते हो।।

धन्य हैं वे वीर सभी जो,
भारत माँ के लिये लहू बहाते हैं।
एक अधर्मी और नीच हो तुम जो,
वीरौं की वीरता झुठलाते हो।।

राष्ट्रवाद और देश प्रेम को,
दलाली तुम कह जाते हो।
राजनीति के अंधड़ मैं तुम,
अपनी कुरूपुता दर्शाते हो।।

ओछे ओछे बयान दागकर,
किस सत्ता को पाते हो।
मत भूलो माँ के सम्मान से,
जो भी आज तक खेला है,
उसको समय ने बिना देर किये ही,
जयचंदों मैं धकेला है।।

रचनाकार
अमित कुमार सिंह (प्र0 अ0),
प्राथमिक विद्यालय वीरपुर बरियार,
मूढ़ा पांडेय,
मुरादाबाद।
9412523624
9639066698

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