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एक बार मुझे वो मिल जाये

एक बार मुझे वो मिल जाए,
जीवन फुलवारी खिल जाए|
जो कह न सके वो कह जाये,
अफ़सोस न कोई रह जाये|
तब अब का अंतर मिट जाए,
जिससे ये मन फिर खिल जाए,
जो मिलन अधूरा था अपना
उसकी अभिलाषा मिट जाये।

जीवन की इस बगिया में फिर
एक बार मधुरस घुल जाये
तुमबिन सासें बस चलती हैं,
जीने का अर्थ निकल जाये ।

एक बार मुझे वो मिल जाये..........
जो भाव दबे है इस दिल में
आंसू बन वो निकल जाये
उर से ओठों में मिल जाये
एक बार मुझे..........

चंद्रजीत सिंह 

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