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आस

जीने की आस हो तुम,
प्रेरणा का स्रोत हो तुम।
आदि हो,अनंत हो,
जीवन का खेल हो तुम।
वर्तिका हो ,उजाला हो,
जीने का सहारा हो तुम।
जीने की आस ............

गम हो ,परछाई हो
कष्ट में सहारा हो तुम।
निमित्त हो,जिजीविषा हो,
जीने की उमंग हो तुम।
जीने ..............
स्मित हो ,मनोरथ हो,
जगत में सहारा हो तुम।
स्नेह हो ,द्वन्द हो
जीने का स्पन्द हो तुम ।
जीने.............
नीलूजीत सिंह 

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