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टी सी का बवाल

बेंचेलाल को स्कूल की तरफ आते देख हेडमास्टर रामनारायण जी मेरी कक्षा की तरफ भागे और बोले कि बेंचे लाल फिर आ रहा है, उससे तुम्हीं निपटो। बेंचेलाल उस गाँव का प्रधानी हारा हुआ प्रत्याशी था और जब भी स्कूल आता कुछ ना कुछ बवाल कर जाता,उसे देखकर हमारे हेड के हाँथ पाँव फूल जाते थे।अभी कुछ दिनों पहले उसने मिड डे मील को लेकर स्कूल में जमकर बवाल किया था और अब फिर बवाल पर उतारू है।मेरी नयी नियुक्ति थी इसलिए हेड साहब गाँव बालों के सामने मुझे ही अड़ा देते थे।
  मामला कुछ ऐसा था कि बेंचेलाल की चौथे नंबर की लड़की ने 5 वर्ष पहले इस विद्यालय से कक्षा 7 की परीक्षा पास की थी कक्षा 8 में वह पढ़ने नहीं आई अब बेंचे को उसकी टी सी चाहिए थी।अब आप भी सोचते होंगे कि इसमें स्कूल को क्या आपत्ति है ।दरअसल बेंचे लाल अपनी पुत्री की जन्मतिथि बदलवाना चाहता है और 19 की बजाय 17 साल की करवाने की जिद पर अड़ा था और हेड ने ऐसा करने से मना कर दिया था।
जब तक मैं स्टाफ रूम पहुँचता बेंचे जी अपनी कुर्सी ग्रहण कर चुके थे।मेरे आते ही वही प्रश्न हुआ
"काहे मास्टर टी सी काट रहे या नहीं "
"हमने मना कब किया" मैंने जवाब दिया
"तो फिर जन्मतिथि सही कर टी सी दे दो "
"जन्मतिथि सही ना हो पायेगी " मैंने कहा तो वो झल्ला उठा
"क्यों नहीं हो पायेगी ,तुम्हे क्या दिक्कत है ,क्या तुम्हारी जेब से पैसा लग रहा है,पुराने हेड तो तुरंत सही कर देते थे तुम्हारे ज्यादा दिमाग ख़राब हों तो बताओ सही करवा दें अभी"
हमने बड़ी शांति से समझाया कि अब ये सब नहीं चलता।पहले बाले हेड कर देते होंगे अब संभव नहीं है।आप प्राइमरी में सही करवा लो मैं भी कर दूंगा या फिर कोई प्रूफ ले आओ या नोटरी का हलफनामा बनवाकर हमारे अधिकारी से आदेश करवा दो।मैं अपनी कलम नहीं फंसा सकता।
  बेंचे फिर तमतमा गया "अपने हेडमास्टर को बुलाओ तुम नए लड़के ज्यादा अंग्रेजी ना पढ़ो मेरे सामने"
हमने कहा कक्षाध्यापक तो मैं ही हूँ टी सी मैं ही बनाऊँगा हेड साहब तो केवल हस्ताक्षर कर जारी करते हैं।
  बेंचे समझ गया कि मैं दवाब में नहीं आ रहा हूँ तो जोर जोर से चिल्लाने लगा कि मैं तुम सब को नौकरी करना सिखा दूंगा और अभी तुम मुझे जानते नहीं हो इस गाँव में आना और नौकरी करना मुश्किल हो जायेगा।
मुझे भी गुस्सा आ गया तो मैंने कह दिया की जाओ यहाँ से और जो करना हो कर लेना।
   स्कूल में तनाव का माहौल था। हेड साहब अपनी 2 वर्ष बची नौकरी की दुहाई दे रहे थे और अध्यापिकाएं अपनी इज्जत की।पहले तो मुझे उससे लड़ने पर मजबूर किया और अब सब दोष मेरे मत्थे मढ़ दिया।खैर तीन दिन शांति से निकले तो लगा कि मामला निपट गया पर मामला अभी निपटा ना था।मंगलवार को अचानक खंड शिक्षा अधिकारी का फोन आ गया और उन्होंने बताया कि इस गाँव के बेंचेलाल ने अपनी पुत्री की टी सी ना कटने की शिकायत जिलाधिकारी महोदय से तहसील दिवस में की है और उन्होंने तुरंत निस्तारण का आदेश कर दिया है।मैंने उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया तो वो बड़ी लापरवाही से बोले कि तुम लोग तिल का ताड़ बनाते हो एक टी सी ही तो काटनी है काट दो,क्यों वेवजह निलंबित होना चाहते हो।खैर अधिकारी के दवाब में मुझे बेंचेलाल की लड़की की टी सी काटनी पड़ी वो भी बदली जन्मतिथि के साथ।पूरा स्कूल अब सुकून की सांस ले रहा था।
    इस घटना के 15 दिन बाद मेरे स्कूल से जुड़े थाने से 2 सिपाही आ धमके और उन्होंने सावित्री पुत्री श्री बेंचेलाल की जन्मतिथि की प्रमाणित प्रति की मांग की और दरोगा का लिखित पत्र सौंप दिया।चूँकि मामला पुलिस से जुड़ा था अतः एक सादे कागज पर उसकी जन्मतिथि प्रमाणित कर के दे दी।कुछ ऐसा ही प्रमाण पत्र वो प्राथमिक विद्यालय से भी ले गए।मामला मुझे अभी भी समझ में नहीं आया था इसलिये मैंने सड़क से निकलते कुछ ग्रामीणों से बेंचेलाल की पुत्री सावित्री के वाबत पूंछा तो पता चला कि वह एक महीने पहले ही गाँव के एक लड़के के साथ भाग गयी है और बेंचे ने लड़के बालों पर मुकदमा दर्ज़ करा दिया है कि लड़का उनकी नावालिग लड़की को भगा ले गया है। पूरी बात सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी।मैंने पूरी बात अपने खंड शिक्षा अधिकारी महोदय को बताई तो वो भी तनाव में आ गए।
  लगभग एक महीने बाद स्कूल के प्रधानाध्यापक जी के खिलाफ भी धोखाधड़ी और अभिलेखों में छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज़ हो गया।तब तक बेंचे की पुत्री अपने घर वापस आ गयी थी और बेंचे ने लड़के बालों से एक लाख रुपया लेकर समझौता कर लिया साथ ही पुलिस बालों ने भी लेनदेन कर मामला रफा दफा कर दिया।न्यायालय में लड़की ने खुद के वालिग होने और स्वेच्छा से जाने का वयान देकर लड़के को बचा लिया।पर हेडमास्टर साहब पर लिखा मुकदमा अभी भी जिन्दा था और हेडमास्टर जी मरने की कगार पर।कोई रास्ता सूझता ना देख हेड साहब ने जिलाधिकारी महोदय को अपनी दास्तान सुनाई।जिलाधिकारी महोदय नेक दिल इंसान थे उन्होंने कोतवाल को मामला ख़त्म कराने के निर्देश कर दिए और न्यायालय की अगली तारीख में जाँच अधिकारी ने टी सी में हेडमास्टर जी के फ़र्ज़ी दस्तखत होने की फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट लगा दी बदले में हेड साहब को एक महीने का वेतन खर्च करना पड़ा।
  पूरे स्कूल ने अब कान पकड़ लिए कि चाहे कुछ भी हो जाये स्कूल प्रवेश और टी सी में किसी दवाब में नहीं आएंगे पर बेंचे के स्कूल के बाहर से निकलते ही स्कूल के स्टाफ की सांसे एक बार थम सी जाती हैं।

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