Breaking News

कल कल कल बहती धारा

कल कल कल बहती धारा ....
गति जीवन की ..
विह्वल मन की ...
सरल-सहज बहती, बचपन सी !
बोध कराती है सारा...
कल कल कल बहती धारा....
कटे किनारे जैसा जीवन...
लेकिन बढ़ना है पानी सा...
पत्थर साथ बहाने होंगे...
सारे नियम निभाने होंगे....
चाहे सीमा मे रहना हो,
तोड़ किनारे भी बहना हो..
हो बस वेग जवानी सा....
जीवन मे है जीत कभी तो...
जीवन,जीवन से हारा...
कल कल कल बहती धारा....
(सुधांशु श्रीवास्तव)

कोई टिप्पणी नहीं