Breaking News

उतना बड़ा नहीं....

तलाशता  हूँ  चैन के  कुछ  पल  पुरसुकूं।
कशमकश ज़िन्दगी की मंज़िलों का जुनूं।
संजीदगी  बड़ी  पर  उतना   'बड़ा'  नहीं,
के खिलखिला के फ़िर उस तरह हँस न सकूं।
रचना- निर्दोष कांतेय

कोई टिप्पणी नहीं