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शहीदों को समर्पित



शहीदों ने लुटा दी जाँ वतन की आबरू खातिर |
जिन्हें हम भूल ही बैठे मिला भी क्या उन्हें आखिर ||
कहीं वो फिर से आ जाते तो ग़म उनका न कम होता|
शहादत क्यों दिया हमने कि उनका दिल भी यु रोता ||
खुदा के पास बैठे वो भी हमको देखते होंगे |
बेगैरत हो गए है हम की वो भी सोचते होंगे ||
बहुत है हो चुकी ग़ुरबत कि अब यह रोकना होगा |
लड़ेंगे मौत से भी हम कि अब ख़म ठोकना होगा ||

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